पुलिसकर्मी द्वारा घटित घटना क्रम में पुलिस ने की खानापूर्ति, इस खानापूर्ति से सवाल यह उठता है की गरीब के बच्चो के लिए कानून है या नहीं ??

पुलिसकर्मी द्वारा घटित घटना क्रम में पुलिस ने की खानापूर्ति, इस खानापूर्ति से सवाल यह उठता है की गरीब के बच्चो के लिए कानून है या नहीं ??
News Right:- रतलाम जिले के जावरा तहसील में जीआरपी के पुलिसकर्मी विजय शर्मा द्वारा घटना घटित की गई है यह घटना यूं तो व्यक्ति विशेष की है लेकिन जब इसमें विभाग अपने पुलिसकर्मी को बचाने के लिए स्वार्थी हो जाए तो सवाल उठना लाज़मी है रतलाम के जावरा में, एक पुलिसकर्मी जो की इंदौर जीआरपी में हेड कांस्टेबल के पद पर नियुक्त है जिसका कुछ समय पहले जावरा आना होता है वही उसके द्वारा जावरा के रेलवे क्रॉसिंग पर एक घटना घटित होती है जिसमें वहां SC,ST के अंतर्गत आने वाले बागरी समाज के लोग जिसमें एक महिला है एक नाबालिक बच्चा है और एक आदमी है जिनके साथ पुलिस कर्मी विजय शर्मा द्वारा मारपीट करता दिखाई दिया जिसका विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया जिसके बाद पुलिस को एफआईआर करनी पड़ी। जिसमे पुलिस ने एफआईआर में जो धाराए लगाई है वह आईपीसी के तहत 294, 323, 506 में मुकदमा दर्ज कर लिया।
अब सवालिया निशान यह है की पुलिस अधीक्षक रतलाम को इस पूरे मामले की जानकारी थी। उसके बावजूद भी पुलिस अधीक्षक द्वारा या उनके अधीनस्थ द्वारा निष्पक्षता से मामले को पंजीबद नही किया गया ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्यों कि प्रकरण में जो धाराएं लगाई गई है उन धाराओं में व्यक्ति को 41A के नोटिस पर छोड़ दिया जाता है जबकि इस पूरे प्रकरण में आरोपी द्वारा एक नाबालिक बच्चे पर भी हमला किया गया। जिसे वीडियो में देखा जा सकता है जिसके आधार पर इस एफआईआर में जे.जे एक्ट (Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015) की धाराओं का पालन नही किया गया। साथ ही साथ (Scheduled Castes and The Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities) Act, 1989) की धाराओं का भी पालन नहीं किया गया है जिससे की ऐसा प्रतीत होता है की पुलिस विभाग अपने पुलिस कर्मी को बचाने की कोशिश कर रहा है पुलिस अधीक्षक रतलाम को अपने संवैधानिक पद को ध्यान में रखकर इस मामले को गंभीरता से लेकर संबंधित फरियादियों के अधिकारों के आधार पर दोनो अधिनियम के अंतर्गत धाराओं को दर्ज करना चाहिए। ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि राज्य के नागरिको के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है और पुलिस अधीक्षक रतलाम का पद भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 के अंतर्गत राज्य की श्रेणी में आता है। जिसकी यह जिम्मेदारी होती है कि वह अपने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करे। ऐसी स्थिति में रतलाम पुलिस अधीक्षक को निष्पक्ष कार्यवाही करनी चाहिए।